Press Release
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द्वादश माधव परिक्रमा करने वाले भक्तों का सम्मान
"प्रयाग संसार की सबसे प्राचीन नगरी में से एक है ! काशी से भी प्राचीन है ! काशी भी माधव नगरी ही थी ! कालांतर में भगवान् श्रीशिव जी के आग्रह पर भगवान् श्री हरि ने उन्हें काशी दे दी थी और उन्हें वहीँ विराजमान होने का वर दिया था ! तीर्थराज प्रयाग में भगवान् श्रीविष्णु माधव रूप में सृष्टि के प्रारम्भ काल से बारह स्वरूपों में विराजमान हैं ! भगवान् के यही बारह स्वरुप द्वादश माधव कहे जाते हैं ! भगवान् श्री हरि सृष्टि के आदि हैं और प्रदाता हैं ! अतः इनकी परिक्रमा से प्राणी को सभी कुछ प्राप्त हो जाता है ! यह सनातन धर्मियों का सर्वाधिक प्राचीन कृत्य है ! इससे व्यक्तिगत कल्याण ही नहीं वरन सामूहिक कल्याण होता है !" यह विचार आध्यात्मिक गुरु पूज्य स्वामी श्रीअशोकजी महाराज ने 2017 की परिक्रमा करने वाले भक्तों को सम्मानित करते हुए कही ! आज स्थानीय इस्कॉन मंदिर में 5 दिवसीय भगवान् श्री द्वादश माधव वार्षिक परिक्रमा 2017 पूर्ण करने वाले भक्तों को श्रीमाधवकुल भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया ! सभी परिक्रमावासिओं को प्रमाण पत्र तथा प्रसाद प्रदान किया गया !
अलंकरण समारोह की अध्यक्षता पूज्य श्री आचार्य दास, अध्यक्ष इस्कॉन मंदिर ने की ! विशिष्ट अतिथि पूज्य स्वामी श्री अवधेश दास जी महाराज, महंथ श्रीचक्र माधव पीठ, अरैल रहे ! पूज्य श्री आदित्य पांडेय,महंथ श्री अनंत माधव पीठ,चौफटका, पूज्य श्री पूर्णकांत दास,इस्कॉन, श्री तीर्थराज पांडेय, सदस्य प्रबंध श्री द्वादश माधव परिक्रमा सहित श्रीमती रागिनी प्रकाश, श्रीमती अंजू अगरवाल, श्री सालिग राम शुक्ल, श्री राम मोहन उपस्थित लोगो में प्रमुख रहे !
जारीकर्त्ता -तीर्थराज पाण्डेय
सदस्य प्रबंध श्री द्वादश माधव परिक्रमा , तीर्थराज प्रयाग
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