Recharge urself with Dwadash Madhav Parikrama. Get everything you are searching4years

Have u experience Divine Blessings ever? If no,than come & experience it by performing Bhagwan Shri Dwadash Madhav Parikrama.  




Press Release

This press release is for media person/freelance journalist: They are requested to take this release and include in there respected publication/channel on a prominent place and our coordinators are authorized to take print of this release and distribute it to local media.

तीर्थराज प्रयाग के अधिष्ठाता भगवान् श्रीद्वादशमाधव के महापर्व वार्षिक परिक्रमा में भाग ले कर वह सब पाएं जिसे पाने को आप वर्षों से प्रयासरत हैं !

तीर्थराज प्रयाग की पांच दिवसीय अति पावन भगवान् श्रीद्वादशमाधव वार्षिक परिक्रमा, इस वर्ष देवउत्थान एकादशी १४ नवम्बर से १८ नवम्बर २०२१ तक  आयोजित है!

सनातन धर्म की एक मान्यता के अनुसार जिस स्थान के अधिष्ठाता देव की उपेक्षा होती है, वह स्थान कभी भी सुखी और सम्पन्न नहीं रहता ! बहुत कम लोगो को यह मालूम है कि प्रयागराज के स्थान देवता स्वयं भगवान् श्रीहरि हैं । भगवान् श्रीहरि यहाँ भगवान् श्रीमाधव के रूप में विराजमान हैं ! पूरे ब्रम्हांड में केवल प्रयाग को ही भगवान् ने यह गौरव प्रदान किया है ! इसी कारण यह स्थान तीर्थराज कहलाता है! यह भी तथ्य है की नाम के अनुरूप यह स्थान किसी भी दृष्टिकोण से देखने वाले को तीर्थराज नहीं दिखता! पता है इसका कारण क्या है? जगतनियंता स्वयं इस स्थान पर विराजमान हैं, वह भी एक नहीं बारह स्वरूपों में, फिर भी यह स्थान श्रीहीन है,भौतिक स्तर पर भी और मानसिक स्तर पर भी! हमारा नहीं बल्कि आम लोगों का ऐसा मत है! जब भगवान् को लोग नहीं पूंछते तो वह स्थान स्वतः श्रीहीन हो जाता है,क्योकि श्री अर्थात माता श्री लक्ष्मी भगवान् की शक्ति हैं ! भगवान् को क्या चाहिए, उन्हें तो केवल सम्मान और समर्पण चाहिए ! यदि हम भगवान् के आगे सर झुका लेते हैं अर्थात दर्शन/परिक्रमा करते हैं तो हम भौतिक, आध्यात्मिक, मानसिक स्तर पर निश्चित मालामाल हो जायेंगे! आज दुर्भाग्य है की भगवान् श्रीद्वादशमाधव को बहुत काम लोग जान रहे हैं !प्रयागवासियों को चाहिए की बढ़ चढ़ कर भगवान् की परिक्रमा करें ! जिससे व्यक्तिगत और सामूहिक कल्याण होगा ! सनातन ज्ञान के अनुसार सृष्टि का पहला यज्ञ भगवान श्री ब्रह्मा जी ने जिस स्थान पर किया था उसे ही प्रयाग कहा जाता है !इसी यज्ञ की सुरक्षा भगवान श्री विष्णु पूरे सौ वर्षों तक अपने बारह स्वरूपों में करते रहे ! भगवान के यही स्वरुप द्वादश माधव कहलाये! इन्ही भगवान की परिक्रमा का विधान प्रयाग के प्रथम वासी और भगवान श्री ब्रह्मा जी के पुत्र श्री भारद्धाज मुनि ने भगवान श्री शंकर जी के आशीर्वाद से बनाया था! भारद्धाज मुनि के अनुसार भगवान की इस पावन परिक्रमा को करने से प्राणी के जन्मो के संचित पाप कटते हैं और पुण्य का उदय होता है! प्रयाग में किसी प्रकार का कर्मकांड अनुष्ठान संस्कार चाहे वह कल्पवास हो पिंडदान तर्पण अस्थिविसर्जन मुंडन यज्ञोपवीत सहित कोई भी अनुष्ठान हो तब तक पूर्ण और फलित नहीं होता जब तक भगवान श्री द्वादश माधव की परिक्रमा न की जाये! जिस प्रकार तीर्थराज से सभी तीर्थों की उत्पति मानी गयी है उसी प्रकार सभी परिक्रमाओं की भी उत्पति श्री द्वादश माधव परिक्रमा से मानी जाती है! सतयुग त्रेता द्वापर और कलियुग के प्रारम्भिक वर्षों तक यह सबसे बड़ी परिक्रमा रही है! भगवान श्री राम ने भी प्रयाग आने पर यह परिक्रमा की थी! ऐसा बताया जाता है की मुगलों ने इसे खंडित कर दिया था ! ६०० वर्षों बाद भगवान श्री माधव जी की कृपा से यह परिक्रमा पुनः प्रारम्भ हो गई है! आध्यत्मिक गुरु पूज्य स्वामी श्रीअशोकजी महाराज के अथक प्रयासों के बाद गत ७ वर्षों से यह परिक्रमा हो रही है ! इस वर्ष की पांच दिवसीय परिक्रमा १४ नवम्बर को प्रातः १०.३० पर भगवान् श्रीअनंतमाधव पीठ (देवगिरि मंदिर ) चौफटका à¤¸à¥‡ प्रारम्भ होगी! चार à¤¦à¤¿à¤¨ à¤šà¤²à¤•à¤° पांचवे दिन १८ नवम्बर २०२१ को भगवान् श्रीचक्रमाधव मंदिर, अरैल में अपरान्ह महाप्रसाद के साथ à¤ªà¤°à¤¿à¤•à¥à¤°à¤®à¤¾ का समापन होगा!

भक्तों के लिए यह सुअवसर है की भगवान् की अतिपावन परिक्रमा में भाग ले कर जन्मों के पुण्य के उदय होने का फल प्राप्त कर सकते हैं! सभी इक्छुक भक्तों से निवेदन है कि अपना रजिस्ट्रेशन किसी भी माधव पीठ पर करा लें। परिक्रमा की हेल्पलाइन 09452095265 पर दिन भर सहायता उपलब्ध रहेगी!

http://dwadashmadhavparikrama.cfsites.org परिक्रमा क़ी आधिकारिक वेबसाइट है,जिसके माध्यम से सभी जानकारी प्राप्त क़ी जा सकती है!

कोई भी भक्त, श्रद्धालु http://facebook.com/dwadashmadhavparikrama पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर अपडेट रह सकता है!

जो भी भक्त किन्ही कारणों से परिक्रमा में भाग नहीं ले पा रहे हैं! उन्हें चाहिए कि वे मार्ग में परिक्रमावासियों का दर्शन एवं स्वागत करें! इस तरह वे पुण्य के भागी बन सकेंगे!

स्थानीय सांसदों, विधायकों एवं जन प्रतिनिधियों से विशेष अनुरोध है कि वे परिक्रमा में बढ़ चढ़ कर भाग ले! परिक्रमा मार्ग की सड़कों को बनवाएं! भौतिक स्थापनाओं/सुविधाओं का विकास करें और परिक्रमा के विकास के लिए सहयोग और योगदान करें!

प्रयाग के प्रत्येक निवासी एवं तीर्थ सेवनार्थी के लिए यह कई जन्मो के बाद प्राप्त हो रहा अत्यंत दुर्लभ अवसर है! सभी को इसमें बढ़ चढ़ कर भाग लेना चाहिए क्योकि तीर्थराज के अधिष्ठाता देव की परिक्रमा से स्थान की जागृति होती है! जिससे दरिद्रता का नाश होता है! कुवृतियों का नाश होता है ,सदभाव और प्रेम का संचार होता है जिससे प्रत्येक प्राणी का जीवन सुन्दर और संपन्न बनता है!

जारीकर्ता -तीर्थराज पाण्डेय

सदस्य प्रबंध भगवान् à¤¶à¥à¤°à¥€à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶à¤®à¤¾à¤§à¤µ परिक्रमा , तीर्थराज प्रयाग ! संपर्क 9452095265                                                            

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